भोपाल। मध्यप्रदेश में बाघ पर्यटन को नई रफ्तार देने के लिए राज्य सरकार ने 5,500 करोड़ रुपए के फोरलेन टाइगर कॉरिडोर प्रोजेक्ट को आकार देना शुरू कर दिया है। पूर्व में इस प्रोजेक्ट की अनुमानित लागत 4600 करोड़ रुपए थी। इस परियोजना के अंतर्गत कान्हा, बांधवगढ़, पेंच और पन्ना जैसे प्रमुख बाघ अभयारण्यों को जबलपुर से मल्टी-लेन राजमार्गों के जरिए जोड़ा जाएगा। माना जा रहा है कि सड़क कनेक्टिविटी बेहतर होने से प्रदेश में वन्यजीव पर्यटन को जबरदस्त बढ़ावा मिलेगा और पर्यटकों के माध्यम से राजस्व, रोजगार में इजाफा होगा।
मंत्री राकेश सिंह ने लिखा था पत्र
उल्लेखनीय है कि जनवरी 2024 में लोक निर्माण विभाग मंत्री राकेश सिंह ने केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी को पत्र लिखकर जबलपुर-कान्हा और जबलपुर-बांधवगढ़ राजमार्ग को चार लेन में अपग्रेड करने का अनुरोध किया था। मंत्री ने पत्र में जबलपुर को महाकौशल क्षेत्र का सबसे बड़ा प्रशासनिक और व्यावसायिक केंद्र बताते हुए कहा था कि यहां का हवाई अड्डा ही एकमात्र ऐसा स्थान है, जहां से नियमित व्यावसायिक उड़ानें उपलब्ध हैं।
मंत्री राकेश सिंह का तर्क है कि कान्हा और बांधवगढ़ विश्व स्तर पर प्रसिद्ध टाइगर रिजर्व हैं, जहां देशी-विदेशी पर्यटक बड़ी संख्या में आते हैं। ऐसे में रोड कनेक्टिविटी का बेहतर होना अत्यंत आवश्यक है। बाद में पन्ना और पेंच अभयारण्यों को भी इस योजना में शामिल कर लिया गया।
सड़क अपग्रेडेशन की योजना
- जबलपुर-कान्हा मार्ग: मंडला-चिल्पी खंड को दो लेन से चार लेन करने का प्रस्ताव है। निविदाएं आमंत्रित हो चुकी हैं।
- जबलपुर-बांधवगढ़ मार्ग: कटनी-उमरिया के बीच करीब 60 किलोमीटर को चौड़ा किया जाएगा।
- जबलपुर-पन्ना मार्ग: मैहर-सतना और मैहर-बमीठा खंड को चार लेन का बनाया जाएगा।
- जबलपुर-पेंच मार्ग: इस खंड का चार लेन विस्तार पहले ही पूरा हो चुका है।
पर्यटन को लगेंगे पंख
इस परियोजना के पूर्ण होने पर जबलपुर से इन टाइगर रिजर्व तक यात्रा आसान हो जाएगी। जबलपुर से कान्हा 120 किमी, बांधवगढ़ 170 किमी, पन्ना 288 किमी और पेंच 200 किमी की दूरी पर है। बेहतर सड़कें पर्यटकों की आमद बढ़ाएंगी, जिससे स्थानीय रोजगार, होटल व्यवसाय और गाइड सेवाओं को लाभ मिलेगा।
पर्यावरण और वन्यजीव प्रेमी चिंतित
इस प्रोजेक्ट को लेकर सरकार भले ही उत्साह में हो, लेकिन पर्यावरणविदों ने कड़ी आपत्ति भी जताई है। ख्यात वाइल्डलाइफ एक्टिविस्ट अजय दुबे का कहना है कि सड़क चौड़ीकरण के लिए जंगलों की कटाई होगी, जिससे बाघों के आवास और पारिस्थितिकी तंत्र पर गंभीर असर पड़ेगा। उनका मानना है कि अभयारण्यों जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में यातायात सीमित किया जाना चाहिए, न कि इसे और बढ़ाना चाहिए। हालांकि, पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों का कहना है कि परियोजना में वन्यजीवों के आवागमन को ध्यान में रखते हुए अंडरपास और अन्य तकनीकी उपाय शामिल किए जाएंगे, जिससे वन्य जीवन पर न्यूनतम असर हो।