भोपाल। लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने भारत के दम तोड़ते लोकतंत्र को नई सांसें दे दी हैं। राहुल गांधी को नासमझ बताकर उपहास करने वाले भी उनकी राजनीतिक प्रतिभा का लोहा मन ही मन मान रहे हैं, लेकिन दंभ के चलते खुलेआम स्वीकार करने से परहेज कर रहे हैं। विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने हाल ही में वोट चोरी का जो खुलासा किया है, उससे चुनावी शुचिता की असलियत सबके सामने आ गई है।
सियासी जानकार सन्न रह गए थे
वर्ष 2023 में जब मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के विधानसभा चुनावों के परिणाम सामने आए तो सियासी जानकार सन्न रह गए थे। कई राजनीतिक रणनीतिकारों और जमीनी स्तर पर जनता की सियासी नब्ज टटोलने के माहिर तमाम विश्लेषकों और निष्पक्ष पत्रकारों के गणित उलट गए थे। वे हैरान थे कि आखिर ऐसा हुआ कैसे? कई मीडिया हाउस तो गढ़े हुए नैरेटिव के भोंपू बजा रहे थे कि फलां योजना या फलां फैक्टर ने बीजेपी को जीत दिलाई है, लेकिन जनमानस के बीच रहकर ईमानदारी से काम करने वालों को ये गढ़े हुए नैरेटिव गले नहीं उतर रहे थे। वे लगातार कह रहे थे कि चुनाव में गड़बड़ हुई है, लेकिन उनकी आवाज नक्कारखाने में तूती की तरह दबकर रह गई।
भारत की राजनीति में भयंकर भूचाल आ गया है
मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने तो 2023 के विधानसभा परिणाम के समय ही निर्वाचन प्रक्रिया पर कई सवाल उठाए थे। मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान से विधानसभा चुनाव प्रक्रिया से परिणाम तक कई शिकायतें कई थीं, लेकिन आयोग में सुनवाई के नाम पर शून्य ही दिखाई दिया। अब 2024 के लोकसभा चुनाव को लेकर राहुल गांधी ने चुनाव आयोग की पोल खोल दी है, जिससे भारत की राजनीति में भयंकर भूचाल आ गया है। राहुल गांधी के इस महाविस्फोटक खुलासे के बाद जहां विपक्ष एकजुट होकर फ्रंट फुट पर है, वहीं सत्तारूढ़ सरकार की चूलें हिल गई हैं।
यह बेहद गंभीर मामला है
गौरतलब है कि राहुल गांधी ने चुनाव आयोग की कार्यशैली को बड़ी गहराई से जांचा—परखा। करीब छह महीने का समय लगाकर एक -एक पहलू की बारीकी से छानबीन की और वहां मिली अत्यंत गंभीर अनियमितताओं को देश के सामने लाकर खड़ा कर दिया। देश के चुनावी इतिहास में पहली बार ठोस साक्ष्यों के साथ चुनाव आयोग पर आरोप लगाए गए। यह बेहद गंभीर मामला है। बेंगलुरू की एक लोकसभा सीट के महादेवपुरा सेगमेंट में ही 100250 वोटों की गड़बड़ी को प्रेस कांफ्रेंस कर उजागर किया। सियासी सूत्रों की मानें तो राहुल गांधी ने इस खुलासे से पहले कांग्रेस पार्टी के अंदर बीजेपी के कथित स्लीपर सेल नष्ट किए और संदिग्धों को इस काम की भनक भी नहीं लगने दी। इसका असर यह हुआ कि इतने बड़े कांड का पर्दाफाश करने के दौरान सूचना लीक नहीं हुई और देश के सामने बीजेपी सरकार और चुनाव आयोग की पोल खुल गई।
राहुल गांधी को उल्टा घेरने की कोशिश हो रही है
वोट चोरी के आरोप लगाने के बाद राहुल गांधी को उल्टा घेरने की कोशिश हो रही है, लेकिन राहुल गांधी ने दिखा दिया कि वे राजनीतिक बिसात के बेहतर खिलाड़ी बन चुके हैं। चुनावी जानकारों का मानना है कि राहुल गांधी से शिकायत का जो शपथ पत्र मांगा जा रहा है, वह तो ड्राफ्टरोल के समय पर मांगा जाना चाहिए। यहां तो वोट चोरी का आरोप है, घपले की बात कही जा रही है तो इसे आयोग को खुद जांच कर स्पष्ट करना चाहिए। देश को जांच कर यह बताया जाना चाहिए कि नेता विपक्ष के आरोप निराधार थे। हमने ये जांच कर ली है और कोई संशय हो तो वह भी नेता विपक्ष बताएं। यदि कहीं कुछ गड़बड़ नहीं थी तो विपक्ष के नेता को आपेक्षित डिजिटल जानकारी भी अविलंब उपलब्ध करा देनी चाहिए थी। आयोग द्वारा उपलब्ध कराए गए कागजों की जांच करने में राहुल गांधी की टीम को लगभग छह माह का समय लगा। यदि यही जानकारी डिजिटल फॉर्मेट में दी जाती तो जांच एक—दो दिन में ही हो सकती थी।
जागरूकता अभियान शुरू करने का निर्णय लिया
नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी जब मुख्य चुनाव आयुक्त से बातचीत करने करीब 300 सांसदों के साथ संसद भवन से निर्वाचन सदन की ओर जा रहे थे, तभी दिल्ली पुलिस ने उन्हें अन्य सांसदों के साथ गिरफ्तार कर लिया। केंद्र सरकार और आयोग अब बचने के सभी रास्ते खोज रहा है, लेकिन ये आग अब थमने वाली नहीं है। राहुल गांधी के वोट चोरी के दावों को आम जनता के बीच ले जाने के लिए कांग्रेस ने देशभर में जागरूकता अभियान शुरू करने का निर्णय लिया है। इसके मद्देनजर पार्टी ने तीन महत्वपूर्ण कार्यक्रमों की रूपरेखा बनाई है। पहले चरण में कांग्रेस स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर 14 अगस्त को पूरे देश के जिला मुख्यालयों पर लोकतंत्र बचाओ मशाल मार्च के बाद अगले चरण में 22 अगस्त से सात सितंबर के बीच पार्टी वोट चोर, गद्दी छोड़ो रैलियां करेगी। इसके बाद 15 सितंबर से 15 अक्टूबर के बीच एक महीने तक मतदान के अधिकार को बचाने और लोगों की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए कांग्रेस का हस्ताक्षर अभियान चलेगा। वहीं, कांग्रेस ने वोट चोरी के दावों को लेकर एक पोर्टल लांच कर ऑनलाइन समर्थन हासिल करना प्रारंभ कर दिया है। कांग्रेस के तेवरों से स्पष्ट है कि आने वाले दो महीने भाजपा नीत केंद्र सरकार के लिए बहुत मुसीबत भरे होने वाले हैं।
मतदाता सूची में तमाम तरह की गड़बड़ियां हैं
बिहार में चुनाव होने हैं। वहां की मतदाता सूची को लेकर भी सियासी हंगामा बरपा है। राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, तेजस्वी यादव, अखिलेश यादव समेत विपक्ष के तमाम बड़े नेता एकजुट होकर चुनाव आयोग को घेर रहे हैं। मतदाता सूची में तमाम तरह की गड़बड़ियां हैं। चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में प्रस्तुत अपने जवाब में कहा है कि बिहार में मतदाता सूची से बाहर किये गये 65 लाख लोगों की न तो सूची शेयर करेगा और न ही यह बताने के लिए बाध्य है कि उनका नाम किस वजह से सूची से हटाया गया है। अब सवाल है कि यदि यह जानकारी चुनाव आयोग नहीं देगा तो फिर कौन देगा? क्या इस तरह के व्यवहार से मतदाताओं का भरोसा चुनाव प्रक्रिया में बना रहता है? यह यक्ष प्रश्न है, जवाब कौन देगा?

आलेख: डॉ. देवेंद्र सिंह धाकड़ (मध्यप्रदेश के ख्यात यूरोलॉजिस्ट और ओबीसी महासभा के प्रदेश उपाध्यक्ष हैं।)