भोपाल। मध्यप्रदेश सरकार ने एक बड़ा निर्णय लेते हुए राज्य के 27,990 गांवों में संचालित एकल नल जल योजनाओं की जिम्मेदारी लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी (PHE) विभाग को सौंपने का फैसला किया है। यह कदम जल जीवन मिशन को गति देने और गांव-गांव तक स्थायी जल आपूर्ति सुनिश्चित करने की दिशा में अहम माना जा रहा है। हर साल इस कार्य पर लगभग 1200 करोड़ का खर्च अनुमानित है। विभाग ने योजना का विस्तृत खाका तैयार कर लिया है, जिसे आगामी कैबिनेट बैठक में प्रस्तुत किया जाएगा।
लंबे समय से चल रहा था जिम्मेदारी का विवाद
बीते कुछ महीनों से इन योजनाओं के संचालन और रखरखाव को लेकर विभागों के बीच मतभेद बना हुआ था। कई उच्चस्तरीय बैठकों में भी सहमति नहीं बन सकी थी। अंततः मुख्यमंत्री की पहल पर यह तय किया गया कि PHE विभाग इस कार्य को देखेगा। इस फैसले से योजना के अटकने की आशंका समाप्त हो गई है।
2027 तक पूरा होगा जल जीवन मिशन
जल जीवन मिशन के तहत प्रदेश सरकार 20,000 करोड़ से अधिक खर्च कर रही है। उद्देश्य है कि मार्च 2027 तक सभी गांवों में नल से जल की सुविधा मुहैया हो। एकल नल जल योजनाएं विशेष रूप से उन गांवों के लिए तैयार की गई हैं, जहां स्थानीय जल स्रोतों से पानी की आपूर्ति संभव है।
इमरजेंसी सेवाओं की भी तैयारी
PHE विभाग न केवल संचालन और मेंटेनेंस की जिम्मेदारी संभालेगा, बल्कि आपातकालीन सेवाओं के लिए भी व्यापक तैयारी की जा रही है। हर जिले में इमरजेंसी वाहन तैनात किए जाएंगे, जो ट्राईपॉड, चैन-पुल्ली जैसे जरूरी उपकरणों से लैस होंगे। पानी की सप्लाई में किसी भी तरह की खराबी की सूचना मिलने पर ये वाहन तत्काल मौके पर पहुंचेंगे।
गांवों को मिलेगा स्थायी समाधान
सरकार के इस फैसले से प्रदेश के लाखों ग्रामीणों को बड़ा लाभ मिलने वाला है। अब तक कई गांवों में जल योजनाएं केवल निर्माण स्तर तक सीमित रह जाती थीं, पर अब इनके नियमित संचालन और रखरखाव का जिम्मा स्पष्ट होने से स्थायी जल आपूर्ति की दिशा में ठोस कदम बढ़ाया गया है।