Close Menu

    Subscribe to Updates

    Get the latest creative news from FooBar about art, design and business.

    What's Hot

    सुप्रीम कोर्ट की SIT करेगी वनतारा की जांच, वन्यजीव कानूनों के उल्लंघन का आरोप, हथिनी माधुरी से शुरू हुआ था विवाद

    August 25, 2025

    भूपेश करें छत्तीसगढ़ कांग्रेस का नेतृत्व-रवीन्द्र चौबे, बैज ने कहा- निजी राय; साव का तंज- धरातल खो चुकी कांग्रेस

    August 25, 2025

    आजादी तो 1943 में ही मिल गई थी! नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने 21 अक्टूबर 1943 को कर दी थी स्वतंत्र राष्ट्र की घोषणा

    August 25, 2025
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Samay Naad
    • होम
    • मध्यप्रदेश
    • छत्तीसगढ़
    • देश-विदेश
    • हमारा इतिहास
    • करियर
    • मनोरंजन
    • खेलकूद
    • ई-पेपर
      • 26 जनवरी 2024
      • 16 अगस्त 2024
      • 15 अगस्त 2025
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Samay Naad
    मध्यप्रदेश

    केरी नहीं, केहरी महादेव हैं ये, इनकी सिंह करता था आराधना

    Dinesh BhadauriaBy Dinesh BhadauriaAugust 3, 2025Updated:August 14, 2025No Comments3 Mins Read
    Facebook Twitter Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    केरी नहीं, केहरी महादेव हैं ये, इनकी सिंह करता था आराधना
    केरी नहीं, केहरी महादेव हैं ये, इनकी सिंह करता था आराधना
    Share
    Facebook Twitter LinkedIn Pinterest Email

    दिनेश सिंह भदौरिया, औबेदुल्लागंज। बब्बर शेर इस शिवलिंग के सामने नतमस्तक होकर बैठता था, एकदम शांत। ऐसा लगता था जैसे शिव की आराधना में लीन हो। इस स्थान पर उसने कभी किसी जीव का शिकार भी नहीं किया। यहां आने वाले लोग और श्रद्धालु इसे शिव की शक्ति का चमत्कार मानते हैं। महादेव शिव का यह स्थान आज केरी महादेव के नाम से जाना जाता है, जो रातापानी टाइगर रिजर्व में आता है। बताया जाता है कि यहां​ सिंह के आकर बैठने से इस शिवलिंग को केहरी महादेव के नाम से पुकारा जाता था। सिंह को केहरी भी कहते हैं। यहां पर आम के वृक्ष भी होने के कारण बाद में इस स्थान को केरी महादेव के नाम से जाना गया।

    ऐसे पहुंचे केहरी महादेव

    केहरी महादेव पहुंचने के लिए दो रास्ते हैं। नर्मदापुरम से औबेदुल्लागंज होते हुए जंगल के रास्ते यहां पहुंचा जा सकता है। भोपाल से नर्मदापुरम मार्ग से होकर यहां पहुंचने में करीब 44 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है, वहीं भोपाल शहर से कोलार रोड के घने जंगलों से होकर जाने में करीब 24 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता है। इस स्थान पर सालभर जल धारा बहती रहती है। हर वर्ष शिवरात्रि पर यहां मेला भी लगता है, जिसमें आसपास के क्षेत्रों के अलावा दूर-दूर से लोग आते हैं। केहरी महादेव की घाटी में प्रवेश करने से पहले चट्टान पर हनुमान जी महाराज विराजमान हैं।

    महादेव के जयकारे से तेज गिरता पानी

    भैंरोपुर, भोपाल के ज्ञान सिंह का कहना है कि 1970—80 के दशक में यहां पर सिंह या बब्बर शेर अक्सर दिखते थे। यहां चट्टानों से बारह महीनों जलधारा गिरती है और महादेव की जय बोलने से पानी का गिरना तेज हो जाता है। जिले के उदयपुरा निवासी प्रयागराज बताते हैं कि उन्होंने भी इस स्थान का पुराना नाम केहरी महादेव सुना है, लेकिन संभवत: बाद में आम के पेड़ों कारण इस जगह को केरी या कैरी महादेव के नाम से पुकारा जाने लगा होगा। भोपाल के रहने वाले महादेव शिव के भक्त आईटी इंजीनियर राहुल राय यहां वर्षों से आ रहे हैं। उनका कहना है कि नैसर्गिक सौंदर्य और टाइगर समेत दुर्लभ वन्यजीवों से भरे इस स्थान को संवारे जाने की जरूरत है।

    पुरातत्व करे संरक्षण

    आस्था के इस केंद्र पर मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के अलावा सीहोर, रायसेन के स्थानीय लोगों के अलावा अन्य स्थानों के लोग पहुंचते हैं। श्रद्धालुओं का कहना है कि इस महत्वपूर्ण स्थल को पुरातत्व विभाग संरक्षित करे। रातापानी टाइगर रिजर्व बनने के बाद से इस स्थल के संरक्षण की उम्मीद बढ़ी है।

    इतनी होती है एंट्री फीस

    केहरी या केरी महादेव जाने के लिए कोलार रोड स्थित झिरी वाटर प्यूरीफिकेशन प्लांट के पास से जाना होता है। इस स्थान को रातापानी जंगल सफारी गेट के नाम से जाना जाता है। यहां जाने के लिए चार पहिया वाहन को 750 रुपए और दो पहिया वाहन को 50 रुपए शुल्क देना पड़ता है। वहीं, पैदल ट्रैकिंग करने वालों के लिए 12 रुपए का शुल्क लिया जाता है।

    बिखरी हुई है वन संपदा

    केहरी महादेव तक पहुंचने के रास्ते और आसपास के क्षेत्र में अपार वन संपदा बिखरी हुई है। यहां पर तेंदू, सागौन, आंवला, जंगली बेलपत्र, महुआ, आम, जामुन, शीशम, सिरस समेत कई प्रजातियों के वृक्ष और झाड़ियां हैं। इसके साथ ही कई तरह की दुर्लभ जड़ी—बूटियां भी इस वन क्षेत्र में पाई जाती हैं। रातापानी जंगल में टाइगर, चीतल, लंगूर, नीलगाय, चौसिंगा, काला हिरण, लकड़बग्गा सियास, लोमड़ी आदि कई तरह के वन्यजीव रहते हैं।

    obedullaganj forest ratapani tiger reserve
    Share. Facebook Twitter Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Dinesh Bhadauria

    Related Posts

    मध्य प्रदेश में बाघों की बढ़ती मौतें, संरक्षण प्रयासों की विफलता पर सवाल

    August 25, 2025

    सहूलियत नहीं हादसों का कारण बन रही सड़क, अधूरे निर्माण से राहगीर परेशान, नहीं दे रहा कोई ध्यान?

    August 25, 2025

    मध्यप्रदेश में भारी बारिश का कहर, भिंड, मुरैना और दतिया में बाढ़ के हालात, ग्वालियर में स्कूलों की छुट्टी

    August 25, 2025

    Leave A Reply Cancel Reply

    Editors Picks
    Top Reviews
    Advertisement
    Demo
    Contact Us

    Name : Dinesh Singh Bhadauria
    Mobile No. : 9457815871
    Email: [email protected]

    Our Picks
    Category
      Facebook X (Twitter) Instagram YouTube
      • Home
      • मनोरंजन
      • मध्यप्रदेश
      • Buy Now
      © 2025 Samaynaad.com.

      Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.