भोपाल। भाद्रपद महीने की चतुर्थी तिथि पर इस बार 27 अगस्त को गणेश चतुर्थी का पर्व मनाया जाएगा। ज्योतिषीय दृष्टि से यह दिन विशेष संयोग लेकर आ रहा है, क्योंकि इस दिन चित्रा नक्षत्र और बुधवार का मिलन होगा। शास्त्रों के अनुसार, इसी तरह के संयोग में माता पार्वती ने गणपति की मूर्ति बनाई थी, जिसमें भगवान शिव ने प्राण प्रतिष्ठा की थी। यही कारण है कि इस दिन की पूजा का महत्व और बढ़ जाता है।
गणेश चतुर्थी पर गणपति स्थापना के लिए दो शुभ मुहूर्त बताए गए हैं। इनमें से कोई भी समय चुनकर श्रद्धालु गणेश जी की प्रतिमा की स्थापना कर सकते हैं। घर या कार्यस्थल पर गणपति विराजने से वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और सभी प्रकार के विघ्न दूर होने लगते हैं।
इस वर्ष की गणेश चतुर्थी पर भगवान गणेश को सिद्धि विनायक रूप में पूजने का विधान है। पुराणों के अनुसार, भगवान विष्णु ने भी इसी रूप की आराधना की थी और उन्हें सिद्धि विनायक नाम दिया था। सिद्धि विनायक स्वरूप के गणेश जी की पूजा हर मांगलिक कार्य से पहले की जाती है। माना जाता है कि इस उपासना से जीवन में सुख-समृद्धि, सफलता और शुभता आती है।
पूजा विधि के अनुसार, गणेश जी की स्थापना से पहले स्थान की शुद्धि की जाती है। इसके बाद मूर्ति को स्थापित कर विधिवत पंचोपचार या षोडशोपचार से पूजा की जाती है। लाल या पीले वस्त्र अर्पित करना, दूर्वा, मोदक और लाल पुष्प चढ़ाना विशेष शुभ माना जाता है।
गणेश चतुर्थी केवल धार्मिक उत्सव ही नहीं, बल्कि आस्था, उल्लास और नई शुरुआत का प्रतीक है।