सतना। बीरपुर गांव में एक दिल दहला देने वाली घटना ने सरकारी योजनाओं की लचर व्यवस्था को बेनकाब कर दिया। कैंसर से जूझ रहे महेंद्र कुशवाहा तीन महीने से संबल कार्ड का इंतजार करते रहे, लेकिन मौत के पांच घंटे बाद ही यह कार्ड जारी किया गया। महेंद्र कुशवाहा के बेटे संजू ने दुखी और निराश होकर कहा कि पिता के जीते जी कार्ड नहीं मिला, अब इसका क्या करूं? घर नहीं बन पाने से पत्नी छोड़कर चली गई, परिवार बिखर गया।
सड़क पर शव रखा तो मिला कार्ड
महेंद्र का परिवार गरीबी की मार झेल रहा था। आधा बीघा जमीन पर सब्जी उगाकर और मजदूरी करके गुजारा चलता था। तीन साल पहले कच्चा घर गिर गया, तो खेत में झोपड़ी बनाकर रहने लगे। पीएम आवास योजना की पहली किश्त 25,000 रुपये मिली, दीवारें खड़ी हुईं, लेकिन दूसरी किश्त अटकी रही। बरसात में पन्नी बांधकर गुजारा किया। संबल कार्ड के लिए तीन महीने पहले आवेदन किया, लेकिन पंचायत सचिव से बस यही जवाब मिलता कि कार्ड बन रहा है। 31 अगस्त को महेंद्र की मौत हो गई। अंतिम संस्कार के लिए सहायता मांगी, तो सरपंच ने कार्ड न होने का बहाना बनाया। गुस्साए परिजनों ने शव सड़क पर रखकर जाम लगा दिया। तब जाकर रविवार की छुट्टी में कार्ड जारी हुआ और 5,000 रुपये दिए गए। इस मामले में सचिव तरुण मिश्रा को निलंबित कर दिया गया है।
जिले में जमीनी स्थिति खराब
यह सिर्फ एक परिवार की कहानी नहीं। बीरपुर में 23 संबल कार्ड लंबित हैं, जबकि सतना जिले में 6,000 से ज्यादा पेंडिंग। केदार कुशवाहा का दो महीने पुराना आवेदन लंबित है। रोशनी चौधरी को खाद्यान्न पर्ची में नाम जुड़वाने के लिए 181 हेल्पलाइन पर शिकायत करनी पड़ी तो जय सिंह का शौचालय बन गया लेकिन पैसा अटक गया। सरपंच शिवेंद्र सिंह कहते हैं, सारे अधिकार सचिवों के पास, हम सिर्फ रबर स्टांप लगाते हैं। सचिव ठीकरा ग्रामीणों पर फोड़ते हैं कि दस्तावेज नहीं देते। जनपद सीईओ अशोक मिश्रा दावा करते हैं कि कार्ड न हो तो भी सहायता मिलती, लेकिन हकीकत इससे परे है।
प्रदेशभर में हालात बदतर
जनवरी से अगस्त तक पंचायत विभाग में 4.86 लाख शिकायतें दर्ज, जिनमें 73 प्रतिशत सुलझीं। पीएम आवास में 44,488 पात्रों को अपात्र घोषित किया गया, वहीं 57,337 को राशि जारी करने की मांग की गई। साफ-सफाई की 54,089, नल-जल की 36,804, निर्माण कार्य की 25,601 शिकायतें लंबित हैं। इसके साथ ही, हितग्राहियों को योजना लाभ के बदले पैसे मांगने की 29,000 से ज्यादा शिकायतें हैं, जिनमें शिवपुरी, मुरैना और दमोह से सबसे अधिक शिकायतें हैं।