बालाघाट। मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले में राजनीति और प्रशासन के बीच एक सनसनीखेज टकराव ने पूरे राज्य को हिलाकर रख दिया है। यहां की कांग्रेस विधायक अनुभा मुंजारे पर वन मंडल अधिकारी (उत्तर) नेहा श्रीवास्तव ने 2-3 लाख रुपये की रिश्वत मांगने, गाली-गलौज करने और ट्रांसफर की धमकी देने का संगीन आरोप लगाया है। इस घटना ने न केवल स्थानीय स्तर पर हलचल मचा दी है, बल्कि प्रशासनिक ईमानदारी और राजनीतिक दबाव के मुद्दे को राष्ट्रीय बहस का विषय बना दिया है। वन विभाग ने मामले की गंभीरता को देखते हुए दो सदस्यीय जांच समिति गठित कर दी है, जो अगले 15 दिनों में अपनी रिपोर्ट सौंपेगी।
फॉरेस्ट रेस्ट हाउस की घटना
घटनाक्रम 16 अगस्त 2025 को बालाघाट के वन विश्राम गृह (एफआरएच) में शाम करीब 4 बजे का है, जो एक सार्वजनिक अवकाश का दिन था। DFO नेहा श्रीवास्तव ने अपने विभागीय पत्र में विस्तार से बताया कि विधायक मुंजारे ने उन्हें मिलने के लिए बुलाया था। पहुंचने पर, विधायक के निजी सहायक (जो उनका भतीजा भी बताया जा रहा है), सुरक्षाकर्मियों और अन्य कर्मचारियों की मौजूदगी में मुंजारे ने सीधे तौर पर “2-3 पेटी” (यानी 2-3 लाख रुपये) की अवैध राशि की मांग की। नेहा श्रीवास्तव ने जब इस मांग को अस्वीकार करते हुए कहा कि ऐसी प्रथाएं स्वीकार्य नहीं हैं, तो विधायक ने कथित तौर पर अपमानजनक भाषा और गालियों का इस्तेमाल किया। इतना ही नहीं, उन्होंने DFO और उनके परिवार को निशाना बनाने की धमकी दी, साथ ही जिले से ट्रांसफर करवाने और भोपाल में धरना-प्रदर्शन कर दबाव बनाने की चेतावनी भी दी।
कर्मचारियों में भय और असंतोष
नेहा श्रीवास्तव, जो 2015 की यूपीएससी आईएफएस परीक्षा में 12वीं रैंक प्राप्त कर भारतीय वन सेवा में शामिल हुईं, ने अपने पत्र में इस घटना को “सरकारी पद के दुरुपयोग” का उदाहरण बताते हुए लिखा: “मैं पूरी गंभीरता के साथ इस घटना को दर्ज करना चाहती हूं। विधायक ने न केवल मेरे लिए, बल्कि मेरे परिवार के लिए भी असंयमित और अपमानजनक भाषा का प्रयोग किया और स्पष्ट रूप से धमकी दी कि मुझे देख लेंगी।” उन्होंने आगे कहा कि विधायक ने बालाघाट के सभी आईएफएस अधिकारियों को अपमानित करते हुए चेतावनी दी कि कोई भी अधिकारी जिले में टिक नहीं सकेगा। इस पूरे वाकये ने वन विभाग के कर्मचारियों में भय और असंतोष पैदा कर दिया है।
विधायक ने खारिज किए आरोप
दूसरी ओर, विधायक अनुभा मुंजारे ने इन आरोपों को पूरी तरह निराधार बताते हुए खारिज किया है। मुंजारे का कहना है कि यह आरोप उनके पति, पूर्व सांसद कंकर मुंजारे को बचाने के लिए लगाए गए हैं। उन्होंने कहा, “यह सब मेरे पति के बचाव के लिए मुझे दबाने की साजिश है। DFO नेहा श्रीवास्तव ने ये अनर्गल आरोप लगाए हैं।” मुंजारे, जो बालाघाट से कांग्रेस की विधायक हैं और उनके पति हाल ही में धान खरीदी केंद्र में मारपीट के आरोप में जेल में बंद थे, ने दावा किया कि यह राजनीतिक प्रतिशोध का मामला है।
15 दिन में आएगी जांच रिपोर्ट
वन विभाग ने इस विवाद पर त्वरित कार्रवाई करते हुए प्रधान मुख्य वन संरक्षक (पीसीसीएफ) स्तर पर दो सदस्यीय जांच समिति का गठन किया है। समिति को 15 दिनों के भीतर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए हैं, जिसमें घटना की सत्यता, साक्ष्यों और गवाहों के बयानों की जांच शामिल होगी। इस बीच, स्थानीय राजनीतिक हलकों में यह मुद्दा गरमाया हुआ है, जहां एक ओर प्रशासनिक स्वतंत्रता की मांग उठ रही है, वहीं दूसरी ओर राजनीतिक दखलंदाजी के आरोप लग रहे हैं।