नई दिल्ली। उत्तर भारत इन दिनों भारी बारिश और बाढ़ की भीषण आपदा से जूझ रहा है। पंजाब, हिमाचल, उत्तराखंड, दिल्ली, हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं। बारिश और बाढ़ से अब तक 29 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि लाखों लोग प्रभावित हैं।
पंजाब में ढाई लाख से ज्यादा प्रभावित
पंजाब के पठानकोट और फिरोजपुर समेत 12 जिले बाढ़ की चपेट में हैं। राज्य के 1,312 गांवों के 2.56 लाख से ज्यादा लोग प्रभावित हुए हैं। खेतों में खड़ी फसलें जलमग्न हो चुकी हैं और गांवों में लोग राहत शिविरों का सहारा ले रहे हैं। प्रशासनिक इंतजाम नाकाफी साबित हो रहे हैं और लोगों का गुस्सा बढ़ रहा है।
दिल्ली में यमुना का रौद्र रूप
दिल्ली में यमुना नदी खतरे के निशान को पार कर चुकी है। मंगलवार को ट्रांस-यमुना इलाके की कई कॉलोनियों जैसे यमुना बाजार और मयूर विहार में पानी भर गया। लोगों से अपील की गई है कि वे अपना जरूरी सामान लेकर राहत शिविरों में चले जाएं। राजधानी में निचले इलाकों की अव्यवस्थित कॉलोनियों में जलभराव प्रशासनिक लापरवाही की पोल खोल रहा है।
उत्तराखंड के कई जगह तबाही
उत्तराखंड में हालात और गंभीर हैं। सभी 13 जिलों में स्कूल-कॉलेज बंद कर दिए गए हैं। केदारनाथ मार्ग पर लैंडस्लाइड में दो लोगों की मौत और छह घायल हुए। भारी बारिश के चलते चार धाम यात्रा 5 सितंबर तक स्थगित करनी पड़ी है। यहां पर बारिश में हर साल हालात खराब हो जाते हैं, लेकिन व्यवस्थाएं दुरुस्त नहीं हो पा रही हैं।
हिमाचल में 76 साल का रिकॉर्ड टूटा
हिमाचल प्रदेश में अगस्त की बारिश ने 76 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया। यहां सामान्य से 68 फीसदी अधिक बारिश दर्ज की गई है। पिछले 24 घंटे में लैंडस्लाइड और मकान गिरने की घटनाओं में चार लोगों की जान चली गई। मौसम विभाग ने राज्य के छह जिलों में रेड अलर्ट जारी किया है। आठ जिलों में स्कूल-कॉलेज बंद रहेंगे।
हरियाणा में भी हालात नाजुक
हरियाणा में भिवानी, हिसार, सिरसा, कुरुक्षेत्र, यमुनानगर और पंचकूला के कई स्कूलों में छुट्टी की घोषणा की गई है। गुरुग्राम में बारिश और बाढ़ जैसी स्थिति से हालात इतने बिगड़ गए हैं कि दफ्तरों में कर्मचारियों का आना संभव नहीं होने से उन्हें वर्क फ्रॉम होम का आदेश देना पड़ा है।
प्रशासनिक लापरवाही उजागर
यह आपदा सिर्फ प्राकृतिक नहीं, बल्कि प्रशासनिक लापरवाही का भी नतीजा है। इस तबाही से एक बार फिर साबित हो गया है कि प्राकृतिक आपदाओं से निपटने में हमारी तैयारी बेहद कमजोर है। हर साल बरसात आते ही उत्तर भारत में बाढ़ और जलभराव से हालात बिगड़ जाते हैं, लेकिन लंबे समय से न तो ड्रेनेज सिस्टम सुधारा गया और न ही बाढ़ नियंत्रण की ठोस तैयारी की गई।