नई दिल्ली/भोपाल। भारत में 2026-27 में पहली बार डिजिटल जनगणना (Digital Census) होने जा रही है। जनगणना निदेशालय इसके लिए एक मोबाइल जनगणना एप (Census App) लॉन्च करेगा, जो एंड्रॉइड और iPhone दोनों पर उपलब्ध होगा। परिवार का मुखिया इस एप पर खुद अपने घर-परिवार की जानकारी भर सकेगा। बाद में जनगणना अधिकारी घर जाकर डाटा की क्रॉस-चेकिंग करेंगे।
दो चरणों में होगी जनगणना
सरकारी अधिसूचना के अनुसार, यह जनगणना दो चरणों में होगी। पहला चरण 1 अप्रैल 2026 से शुरू होगा जिसमें मकानों की गिनती होगी। दूसरा चरण 1 फरवरी 2027 से शुरू होगा, जिसमें आबादी, जाति और अन्य सामाजिक-आर्थिक जानकारियां जुटाई जाएंगी। यह आजादी के बाद भारत की 8वीं और कुल 16वीं जनगणना होगी।
MP में प्री टेस्ट और डेढ़ लाख कर्मचारियों की तैनाती
जनगणना से पहले मध्यप्रदेश में अक्टूबर-नवंबर 2025 के बीच ग्वालियर, रतलाम और सिवनी जिलों में Digital Census Pre Test होगा। यहां 15 दिन तक हाउस लिस्टिंग और पॉप्युलेशन डेटा कलेक्शन किया जाएगा। इसके बाद फरवरी 2026 में प्रदेशभर में पहले राउंड के लिए डेढ़ लाख कर्मचारियों की तैनाती होगी। हर कर्मचारी को 150-175 मकानों की जिम्मेदारी दी जाएगी।
गड़बड़ी रोकने के लिए सीमाएं फ्रीज
जनगणना को सटीक बनाने के लिए 31 दिसंबर 2025 तक सभी प्रशासनिक सीमाओं (जिले, तहसील, पंचायत, वार्ड, नगरीय निकाय) को फ्रीज कर दिया जाएगा। यानी 1 जनवरी 2026 से 31 मार्च 2027 तक किसी भी तरह का बदलाव मान्य नहीं होगा। इससे जनगणना के आंकड़े व्यवस्थित और भरोसेमंद रहेंगे।
34 लाख कर्मचारियों को ट्रेनिंग
देशभर में करीब 34 लाख कर्मचारियों को तीन स्तरों पर ट्रेनिंग दी जाएगी। पहले राष्ट्रीय ट्रेनर, फिर मास्टर ट्रेनर और अंत में फील्ड ट्रेनर उन्हें तैयार करेंगे। गांवों और शहरों को छोटे हिस्सों में बांटकर प्रत्येक हिस्से में एक कर्मचारी की जिम्मेदारी तय की जाएगी, ताकि कोई भी परिवार गिनती से न छूटे।
कितनी परफेक्ट होगी Digital Census?
पारंपरिक जनगणना की तुलना में इस बार पूरी प्रक्रिया Digital Population Survey पर आधारित होगी। डेटा सीधे मोबाइल ऐप पर भरने और तुरंत अपलोड करने से मानवीय त्रुटियों की संभावना काफी कम हो जाएगी। क्रॉस-चेकिंग सिस्टम से गलत जानकारी फिल्टर हो जाएगी। इसके अलावा तय समय सीमा में सीमाएं फ्रीज होने से भ्रम की स्थिति नहीं बनेगी।
डिजिटल जनगणना से आंकड़ों की उपलब्धता भी पहले से तेज होगी। रिपोर्ट राज्य स्तर पर कम्पाइल होकर केंद्र सरकार को भेजी जाएगी और डेटा पब्लिक डोमेन में भी पहले से जल्दी उपलब्ध हो सकेगा।
15 साल बाद होगी जनगणना
देश में आखिरी बार 2011 में जनगणना हुई थी। 2021 की जनगणना कोविड-19 की वजह से टल गई। अब 15 साल बाद यह जनगणना पूरी तरह डिजिटल स्वरूप में होगी, जो इसे और भी ऐतिहासिक बना देगी।