पटना/भोपाल। बिहार विधानसभा चुनाव प्रचार के बीच मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव पटना पहुंचे। यहां यादव महासभा द्वारा आयोजित भव्य कार्यक्रम में उन्होंने हिस्सा लिया। मंच पर उनके साथ ओबीसी कमीशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष हंसराज अहीर, बिहार विधानसभा अध्यक्ष नंदकिशोर यादव, छत्तीसगढ़ सरकार के मंत्री गजेन्द्र यादव, पूर्व केंद्रीय मंत्री रामकृपाल यादव, विधायक संजीव चौरसिया और कार्यक्रम के संयोजक अशोक यादव मौजूद रहे।
इस मौके पर सीएम यादव ने इतिहास, संस्कृति और भाषा को जोड़ते हुए बिहार और मध्य प्रदेश के गहरे रिश्तों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि भोजपुरी भाषा केवल बिहार की ही नहीं, बल्कि मध्य प्रदेश की भी धरोहर है।
सम्राट अशोक के काल से जुड़ा संबंध
मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि प्राचीन काल में भारत के दो प्रमुख महाजनपद थे—एक पटना, जिसे पाटलिपुत्र कहा जाता था और दूसरा उज्जयिनी यानी अवंतिका। उस समय यहां सम्राट बैठते थे और उज्जैन में युवराज। इस ऐतिहासिक दृष्टिकोण से बिहार और मध्य प्रदेश का रिश्ता सदियों पुराना है।
उन्होंने कहा कि सम्राट अशोक के काल में भी यह संबंध जीवंत रहा। दोनों स्थान सांस्कृतिक, शैक्षिक और राजनीतिक केंद्र रहे हैं। आज जब हम इस रिश्ते को याद करते हैं तो गर्व महसूस होता है।
भोजपुरी भाषा को बताया साझा धरोहर
सीएम यादव ने भोजपुरी भाषा पर भी अपनी बात रखी। उन्होंने कहा— हमारा एक और संबंध भोजपुरी भाषा से भी है। इतिहास गवाह है कि राजा भोज अपने परिवार सहित बिहार की धरती पर आए थे। इसलिए भोजपुरी भाषा थोड़ी यहां की है और थोड़ी हमारे वहां की। यह हमारी साझा सांस्कृतिक विरासत है। उन्होंने इस भाषा को एकता और सांस्कृतिक पहचान का सेतु बताया।
बिहार का नाम भगवान कृष्ण से जुड़ा
मुख्यमंत्री ने भगवान कृष्ण के महत्व पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि पूरे देश में यदि किसी राज्य का नाम भगवान कृष्ण से जुड़ा है तो वह बिहार है।
जब हम बिहार की धरती पर आकर गोपाल कृष्ण की जय बोलते हैं, तो आनंद कई गुना बढ़ जाता है। भगवान कृष्ण के जीवन को देख कर हमें जीवन जीने की अलग प्रेरणा मिलती है।
मध्य प्रदेश में बनेगा गीता भवन
डॉ. यादव ने अपने संबोधन में बताया कि उनकी सरकार ने एक अनूठा निर्णय लिया है। मध्य प्रदेश के हर नगर निगम, नगर पालिका और नगर परिषद में गीता भवन बनाया जाएगा।
उन्होंने कहा कि कृष्ण की लीलाओं में द्वारका और मथुरा का महत्व है, लेकिन उनकी शिक्षा उज्जैन में हुई थी। उज्जैन के सांदीपनि आश्रम में भगवान कृष्ण ने शिक्षा ग्रहण की थी। इसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए राज्य सरकार ने 300 से अधिक सांदीपनि विद्यालय खोलने का निर्णय लिया है। ये विद्यालय गुरु परंपरा को समर्पित होंगे।
कृष्ण के जीवन से मिली प्रेरणा
मुख्यमंत्री ने कृष्ण के जीवन से जुड़ी घटनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि भगवान कृष्ण ने 11 वर्ष की छोटी आयु में ही कंस जैसे बड़े दुष्ट से युद्ध किया। यह दिखाता है कि यदुकुल गौरव कृष्ण में असंभव को संभव करने की शक्ति थी।
उन्होंने यह भी कहा कि कृष्ण के जीवन में धर्म की लड़ाई और धर्म के अनुसार जीने की प्रेरणा हर जगह दिखाई देती है। गोपाल नाम लेते ही भगवान आनंद में डूब जाते हैं। यह संदेश है कि समाज में हर व्यक्ति का हक संसाधनों पर होना चाहिए। जैसे यमुना जी के जल को कालिया नाग ने कब्जे में ले लिया था, तो भगवान कृष्ण ने कालिया मर्दन कर समाज के हक को सुरक्षित किया।
बिहार की ऐतिहासिक धरोहर
सीएम यादव ने कहा कि पटना में भगवान कृष्ण के पुत्र ने सूर्य मंदिर का निर्माण कराया था। यह मंदिर उस युग की गवाही देता है। उन्होंने कहा कि हर काल में बिहार ने पूरे देश का ध्यान आकर्षित किया है।उन्होंने बिहार के अन्य गौरवशाली अध्याय भी गिनाए:
- बुद्ध का काल
- जैन समाज के तीर्थंकर
- शिखरजी की परंपरा
- चाणक्य का युग
- नालंदा और तक्षशिला की शिक्षा
राम और कृष्ण से ही हमारी पहचान
मुख्यमंत्री ने जोर देकर कहा, हमारी पहचान राम और कृष्ण से है। अगर आप विदेश में जाएं और केवल इतना कह दें कि आप राम और कृष्ण की धरती से आए हैं, तो लोग समझ जाते हैं कि आप भारत से आए हैं। यही हमारी सांस्कृतिक ताकत है।
उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के अयोध्या पर फैसले का जिक्र करते हुए कहा कि भगवान राम अब अयोध्या में मुस्कुरा रहे हैं। जिस प्रकार मोदी जी के नेतृत्व में कोर्ट के निर्णय का सम्मान करते हुए राम मंदिर का निर्माण हुआ, उसी प्रकार कृष्ण की महिमा का यश भी आगे बढ़ेगा।
मोदी सरकार को दिया श्रेय
कार्यक्रम के अंत में मुख्यमंत्री यादव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार भी व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि वे स्वयं ऐसे परिवार से आते हैं जहां न तो कोई सांसद रहा और न ही विधायक। आज इतना बड़ा राज्य चलाने की जिम्मेदारी मुझे मिली है, यह केवल मोदी जी के आशीर्वाद और संगठन की ताकत से संभव हो पाया है।
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