पटना। गुरुवार को एनडीए के बिहार बंद का आह्वान किया गया, जिसका उद्देश्य प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी का विरोध करना था। प्रदेश में इस बंद का कहीं कम तो कहीं ज्यादा असर देखने को मिला। हालांकि, यह बंद जनता, व्यापारियों और दुकानदारों के लिए परेशानी का कारण बना। बीजेपी कार्यकर्ताओं की आक्रामकता कई जिलों में आमजन और कारोबारियों के लिए मुसीबत का कारण बनी। किसी बच्ची को परीक्षा देने से जाने से रोक दिया तो किसी को नौकरी का इंटरव्यू देने के लिए प्रदर्शनकारियों ने नहीं जाने दिया।
दर्जनभर जिलों के हाइवे रहे जाम
बीजेपी, जेडीयू समेत एनडीए के सहयोगी दलों के कार्यकर्ताओं ने सुबह 7 बजे से दोपहर 12 बजे तक करीब पांच घंटे बंद का आह्वान किया था। इस बंद के दौरान समस्तीपुर, बेगूसराय, छपरा, हाजीपुर, दरभंगा सहित 12 जिलों में नेशनल हाईवे 2 से 3 घंटे तक जाम रहे। इससे वाहनों की लंबी कतारें लग गईं, जिससे यात्रियों, मरीजों और जरूरी सेवाओं को भारी असुविधा हुई।
जनता और व्यापारियों पर अत्याचार
जहानाबाद में बीजेपी कार्यकर्ताओं ने एक महिला शिक्षिका को स्कूल जाने से रोक दिया और उनके साथ धक्का-मुक्की की। एक युवक के साथ मारपीट का मामला भी सामने आया। भागलपुर में बाइक से जा रहे एक दंपती के साथ कार्यकर्ताओं ने बदसलूकी की, जिससे स्थानीय लोगों में आक्रोश फैल गया। पटना के सगुना मोड़ पर आगजनी की घटना ने स्थिति को और तनावपूर्ण बना दिया। डाकबंगला चौराहा करीब 2 घंटे तक जाम रहा, जिससे व्यापारियों और दुकानदारों को भारी नुकसान हुआ। कई जगहों पर दुकानें जबरन बंद कराई गईं, जिसका स्थानीय व्यापारियों ने विरोध किया।
शांतिपूर्ण बंद की जगह उत्पात
मुंगेर में बीजेपी कार्यकर्ताओं ने शांतिपूर्ण बंद का दावा किया, लेकिन कई दुकानें बंद नहीं हुईं, जिससे कार्यकर्ताओं और व्यापारियों के बीच तनाव देखा गया। बेगूसराय में मंत्री सुरेंद्र मेहता ने खुद सड़कों पर उतरकर दुकानें बंद करवाईं, जिसे व्यापारियों ने जबरदस्ती का कदम बताया।
मुजफ्फरपुर में एनएच 27 को जाम करने के दौरान प्रदर्शनकारियों और आरएएफ जवानों के बीच तीखी बहस हुई। दरभंगा में महिला मोर्चा ने प्रदर्शन का नेतृत्व किया, लेकिन जाम में फंसी एंबुलेंस और पुलिस वाहनों को छोड़ना पड़ा।
जनता में नाराजगी
इस बंद ने आम लोगों, व्यापारियों और दुकानदारों को परेशान किया। कई जगहों पर कार्यकर्ताओं की आक्रामकता ने बीजेपी की छवि को नुकसान पहुंचाया। व्यापारियों का कहना है कि जबरन दुकानें बंद कराने से उनका रोजगार प्रभावित हुआ। जनता ने इस बंद को अराजकता का प्रदर्शन करार दिया। पटना में 2,000 से अधिक पुलिसकर्मियों की तैनाती के बावजूद, बीजेपी कार्यकर्ताओं की हरकतों पर पूरी तरह नियंत्रण नहीं हो सका।