नई दिल्ली/एजेंसी। अफगानिस्तान एक बार फिर भीषण त्रासदी से गुजर रहा है। जलालाबाद के पास रविवार रात आए 6.0 तीव्रता के भूकंप ने भारी तबाही मचाई है। जब लोग नींद में थे, तभी इमारतें धराशायी हो गईं और बड़ी संख्या में लोग मलबे में दब गए। अब तक 1411 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, जबकि 3250 से ज्यादा लोग घायल हैं। हर तरफ मातम का माहौल है और हजारों परिवार बेघर हो गए हैं।
भारत ने टेंट और भोजन सामग्री भेजी
तालिबान सरकार ने दुनियाभर से मदद की अपील की है। इस अपील के बाद कई देश आगे आए हैं। भारत ने तुरंत मानवीय सहयोग बढ़ाया और 1000 टेंट काबुल भेजे। साथ ही 15 टन खाने का सामान प्रभावित कुनार इलाके तक पहुंचाया गया। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि भारत आगे भी मदद भेजता रहेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी संवेदना जताई और कहा कि भारत इस कठिन समय में अफगानिस्तान के लोगों के साथ खड़ा है।
ब्रिटेन और यूएन भी आए आगे
अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने भी राहत का हाथ बढ़ाया है। ब्रिटेन ने भूकंप पीड़ित परिवारों के लिए 1 मिलियन पाउंड (करीब 10 करोड़ रुपये) की इमरजेंसी फंडिंग का ऐलान किया है। वहीं, चीन ने भी अपनी क्षमता और अफगानिस्तान की ज़रूरतों के अनुसार मदद का भरोसा दिलाया है। संयुक्त राष्ट्र की टीमें पहले से ही राहत और बचाव कार्यों में लगी हुई हैं।
तालिबान के बाद रुकी थी मानवीय मदद
2021 में तालिबान शासन आने के बाद अफगानिस्तान पर वैश्विक संस्थाओं की आर्थिक और मानवीय सहायता काफी हद तक रुकी हुई थी। ऐसे में यह त्रासदी पहले से ही संकट झेल रहे देश के लिए और बड़ी चुनौती बन गई है। बुनियादी ढांचे के अभाव, स्वास्थ्य सेवाओं की कमी और गरीबी की मार झेल रहे अफगान नागरिक अब एक और आपदा से जूझ रहे हैं।