भिंड। जिले में खाद संकट को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया। जिले के भाजपा विधायक नरेंद्र सिंह कुशवाह ने बुधवार को कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव से भिड़ंत कर ली। आरोप है कि नाराज विधायक ने कलेक्टर के सामने अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया और गुस्से में हाथ उठाते हुए थप्पड़ मारने की कोशिश भी की। स्थिति इतनी तनावपूर्ण हो गई कि विधायक के समर्थक नारेबाजी करने लगे और कलेक्टर को चोर तक कह दिया।
कालाबाजारी की आशंका और गहरी हो गई
मामला तब बढ़ा जब किसान लगातार खाद की किल्लत से परेशान होकर अपनी शिकायतें विधायक तक पहुँचा रहे थे। किसानों ने बताया कि उन्हें देर रात से सहकारी समितियों के बाहर कतार में लगना पड़ता है, लेकिन इसके बावजूद मुश्किल से एक या दो बोरी खाद ही मिल पाती है। कई किसान सुबह तक लाइन में खड़े रहते हैं और खाली हाथ लौट जाते हैं। वहीं खुले बाजार में खाद ऊँचे दामों पर आसानी से उपलब्ध होने से कालाबाजारी की आशंका और गहरी हो गई है।
किसानों की समस्या पर चर्चा करें
किसानों की इस परेशानी को लेकर विधायक कुशवाह सुबह कलेक्टर निवास पर पहुंचे और वहीं धरने पर बैठ गए। उनकी मांग थी कि कलेक्टर बाहर आकर किसानों की समस्या पर चर्चा करें। लेकिन जब कलेक्टर ने मिलने में रुचि नहीं दिखाई तो विधायक भड़क उठे। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर हालात ऐसे ही रहे तो वे जनता को कलेक्टर के घर तक ले आएंगे।
हालात संभालने में काफी मशक्कत करनी पड़ी
इस दौरान मौके पर मौजूद पुलिस और प्रशासनिक अमले को हालात संभालने में काफी मशक्कत करनी पड़ी। एसपी असित यादव, एएसपी संजय पाठक और एडीएम एलके पांडे ने विधायक को शांत करने की कोशिश की। वहीं, विधायक ने फोन पर चंबल संभाग के कमिश्नर मनोज खत्री से बातचीत कर जिले की स्थिति से अवगत कराया। उन्होंने कहा कि प्रशासन ने खाद वितरण को लेकर कोई ठोस तैयारी नहीं की है और किसानों की परेशानी को अनदेखा किया जा रहा है।
किसान लगातार खाद संकट से जूझ रहे हैं
कुशवाह का कहना है कि किसान लगातार खाद संकट से जूझ रहे हैं और प्रशासन मौन साधे बैठा है। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर जल्द व्यवस्था में सुधार नहीं किया गया तो आंदोलन और उग्र होगा। दूसरी ओर, कलेक्टर का कहना है कि जिले में खाद की आपूर्ति और वितरण पर पूरी तरह नजर रखी जा रही है और किसी तरह की अवैध गतिविधि को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
प्रशासनिक टकराव का कारण बन गई
यह टकराव न केवल जिले की प्रशासनिक साख पर सवाल खड़े करता है, बल्कि किसानों की बढ़ती परेशानी और गहराते संकट की ओर भी इशारा करता है। भिंड में खाद की किल्लत अब राजनीतिक और प्रशासनिक टकराव का कारण बन गई है।