बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में प्रस्तावित अरपा कोलवाशरी (Coal Washery) को लेकर ग्रामीणों का गुस्सा थमने का नाम नहीं ले रहा। सीपत-मस्तूरी क्षेत्र के रलिया-भिलाई गांव में सोमवार को आयोजित जनसुनवाई का ग्रामीणों ने पूरी तरह बहिष्कार किया। विरोध इतना जबरदस्त था कि जनसुनवाई स्थल पर कुर्सियां खाली रह गईं और लोग नारेबाजी करते हुए कार्यक्रम से दूर रहे। ग्रामीणों का कहना है कि वे पहले से ही NTPC के राखड़ डैम, कोलवाशरी और क्रशर खदानों से प्रदूषण की मार झेल रहे हैं।अब एक और वाशरी शुरू होने से खेती पूरी तरह बर्बाद हो जाएगी और जीना मुश्किल हो जाएगा।
खेती बंजर तो पानी हो चुका जहरीला
स्थानीय किसानों और जनप्रतिनिधियों ने कहा कि क्षेत्र का वॉटर लेवल गिर गया है और डैम की राखड़ लोगों के घरों और रसोई तक पहुंच रही है। पहले से चल रही वाशरियों और क्रशर प्लांट्स की वजह से खेत बंजर हो चुके हैं। धूल और राख से फसलें नष्ट हो रही हैं। वहीं, किसानों ने पानी के जहरीले होने की बात कही है। ऐसे में नया कोलवाशरी खोलना सीधा-सीधा कृषि क्षेत्र को इंडस्ट्रियल एरिया बनाने की साजिश है। ग्रामीणों ने साफ कहा कि उन्हें इस प्रोजेक्ट से कोई लाभ नहीं मिलेगा, बल्कि नुकसान ही होगा।
प्रशासन ने पूरी की औपचारिकता
भारी विरोध के बावजूद प्रशासन और पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण मंडल (EPB) के अधिकारियों ने जनसुनवाई की प्रक्रिया पूरी की। प्रभारी अधिकारी शिव बनर्जी ने बताया कि कुल 182 आवेदन प्राप्त हुए हैं, जिनमें पक्ष और विपक्ष दोनों शामिल हैं। मौखिक आपत्तियां भी दर्ज की गई हैं। सभी आवेदन जिला स्तरीय समिति लिपिबद्ध कर पर्यावरण प्रदूषण मंडल को भेजेगी।
15 से अधिक गांवों का सामूहिक विरोध
रलिया-भिलाई के आसपास के 15 से अधिक गांवों के लोगों ने सामूहिक रूप से जनसुनवाई का बहिष्कार किया। ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि प्रशासन उनकी समस्याओं को अनदेखा कर रहा है। पहले भी प्रदूषण और स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों की शिकायतें की गईं, लेकिन समाधान नहीं हुआ।
कृषि क्षेत्र से इंडस्ट्रियल एरिया की ओर बदलाव
स्थानीय लोग मानते हैं कि जयरामनगर और खैरा इलाके में लगातार वाशरी और क्रशर प्लांट लगाकर खेती योग्य जमीन को धीरे-धीरे उद्योग क्षेत्र में बदला जा रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि अगर यह कोलवाशरी शुरू हुई तो आने वाले समय में गांवों में रहना दूभर हो जाएगा।