बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल की याचिका खारिज कर दी है। चैतन्य ने आर्थिक अपराध शाखा (EOW) की कार्रवाई और दर्ज FIR को चुनौती दी थी। सोमवार को सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने साफ किया कि वे चाहें तो नई याचिका दाखिल कर सकते हैं, लेकिन वह याचिका केवल उनके निजी मामले तक सीमित होनी चाहिए। हाईकोर्ट का यह फैसला चैतन्य बघेल के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। आने वाले दिनों में इस मामले की कानूनी लड़ाई और तेज हो सकती है।
कोर्ट ने स्वीकार नहीं कीं दलीलें
मुख्य न्यायाधीश रमेश कुमार सिन्हा की बेंच ने कहा कि जब तक याचिका व्यक्तिगत मुद्दों तक सीमित नहीं होगी, तब तक उस पर विचार नहीं किया जाएगा। इस दौरान चैतन्य बघेल की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एन. हरिहरन और हर्षवर्धन परगनिया ने दलीलें दीं, जबकि सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पक्ष रखा। चैतन्य का कहना था कि उनकी गिरफ्तारी और हिरासत गैरकानूनी है तथा EOW ने कानूनी प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया। हालांकि हाईकोर्ट ने उनकी दलीलों को स्वीकार नहीं किया।
गिरफ्तारी और जेल रिमांड
चैतन्य बघेल को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने 18 जुलाई को भिलाई से गिरफ्तार किया था। उन पर आरोप है कि शराब घोटाले से मिली रकम का हिस्सा उनके पास पहुंचा। वर्तमान में वे रायपुर जेल में न्यायिक रिमांड पर बंद हैं और 6 सितंबर तक जेल में ही रहेंगे। कोर्ट ने पिछली पेशी पर उनकी रिमांड बढ़ा दी थी। इससे पहले ED ने 5 दिनों तक कस्टोडियल रिमांड में पूछताछ की थी।
ED का फर्जी निवेश का दावा
प्रवर्तन निदेशालय ED ने दावा किया है कि शराब घोटाले से चैतन्य बघेल को 16.70 करोड़ रुपए मिले थे। यह रकम रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स में इन्वेस्ट की गई थी। प्रवर्तन निदेशालय का आरोप है कि ब्लैक मनी को व्हाइट करने के लिए फर्जी निवेश दिखाया गया और सिंडिकेट के साथ मिलकर करीब एक हजार करोड़ रुपए की गड़बड़ी की गई।
बघेल डेवलपर्स में निवेश की जांच
ED की जांच में सामने आया कि चैतन्य बघेल के विट्ठल ग्रीन प्रोजेक्ट (बघेल डेवलपर्स) में घोटाले की रकम इन्वेस्ट की गई। इस प्रोजेक्ट से जुड़े अकाउंटेंट के ठिकानों पर छापेमारी में दस्तावेज जब्त किए गए। प्रोजेक्ट के कंसल्टेंट राजेंद्र जैन के मुताबिक, इस प्रोजेक्ट का वास्तविक खर्च 13-15 करोड़ रुपए था, लेकिन रिकॉर्ड में सिर्फ 7.14 करोड़ दर्शाए गए। डिजिटल डिवाइस से मिले सबूतों के अनुसार, एक ठेकेदार को 4.2 करोड़ कैश पेमेंट किया गया, जिसका उल्लेख आधिकारिक रिकॉर्ड में नहीं है।