भोपाल। मध्य प्रदेश में बाघों की मौत का आंकड़ा चिंताजनक स्तर तक पहुंच चुका है। इस साल (2025) के केवल आठ महीनों में राज्य में अब तक 40 बाघों की मौत हो चुकी है। इससे राज्य में बाघों की मौत का आंकड़ा देश में सबसे ज्यादा हो गया है, जबकि यह आंकड़ा पिछले साल (2024) में 50 था। बाघों की मौत के कारणों को लेकर सवाल उठ रहे हैं, और संरक्षण अधिकारियों के लिए यह एक गंभीर चुनौती बन चुकी है।
बाघों की मौत पर सवाल उठते कारण
मध्य प्रदेश के बाघों की मौतों की संख्या में वृद्धि ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं, जिनमें शिकार और मानव-वन्यजीव संघर्ष के मुद्दे प्रमुख हैं। अधिकारियों के अनुसार बाघों और शावकों की मौतों का कारण शिकार, आपसी संघर्ष और मानव गतिविधियां मानी जा रही हैं। हालांकि, बाघों और शावकों की मौत के कारणों की छानबीन विभाग के अफसर और कर्मचारी कर रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि प्रदेश में इस साल बाघों की मौत के सबसे बड़े कारणों में शिकार, मुठभेड़, और बाघों के निवास स्थान में कटौती के साथ—साथ समुचित निगरानी नहीं होना है। यह राज्य देश में बाघों की सबसे बड़ी संख्या रखने वाला राज्य है, और अब इनकी सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है।
देश में 100 से अधिक बाघों की मौत
देशभर में इस साल बाघों की मौत का आंकड़ा भी चिंताजनक है। मध्यप्रदेश में 40, महाराष्ट्र में 30 बाघों की मौत हो चुकी है, जबकि असम में 12, कर्नाटका में 11, केरल में 9, उत्तराखंड में 8, उत्तर प्रदेश में 5 और राजस्थान में 2 बाघों की मौत दर्ज की गई। वहीं, तेलंगाना, तमिलनाडु और आंध्रप्रदेश में 1—1 बाघ की मौत हुई है। इस तरह मौजूदा साल के आठ महीनों में 100 से अधिक बाघों की मौत हो चुकी है, जो पिछले साल की तुलना में अधिक है। यह आंकड़े वन्यजीव संरक्षण के लिए चिंता का कारण बने हुए हैं।
बाघ संरक्षण के लिए प्रयास नाकाफी
केंद्र सरकार और राज्य सरकार ने बाघों के संरक्षण के लिए बाघ अभयारण्यों का विस्तार और शिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई जैसे कई कदम उठाए हैं, लेकिन बाघों की मौत के बढ़ते आंकड़े दर्शाते हैं कि अभी भी बहुत कुछ किया जाना बाकी है। बाघों के आवासों में अवैध निर्माण, मवेशियों का प्रवेश और मानव-बाघ संघर्ष की घटनाएं बढ़ रही हैं। मध्यप्रदेश में बीते कुछ वर्षों में बाघों की मृत्यु दर में भी इजाफा देखा गया है। प्रदेश में वर्ष 2021 में जहां 41 बाघों की मौत हुई थी, वहीं वर्ष 2022 में 34 और वर्ष 2023 में यह संख्या बढ़कर 43 तक पहुंच गई थी। वर्ष 2024 में यह संख्या 50 हो गई और 2025 के पहले 8 महीनों में 40 बाघों की मौत हो चुकी है।
वन बल प्रमुख करेंगे ठोस कार्रवाई
मध्यप्रदेश के वन बल प्रमुख वीएन अम्बाडे ने कहा है कि बाघों और अन्य वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए संबंधित अफसरों को पत्र जारी किया जा चुका है। यदि बाघों और शावकों की अप्राकृतिक कारणों से मौत का सिलसिला इसी तरह चलता रहा तो संबंधित अफसरों और कर्मचारियों के खिलाफ ठोस कार्रवाई की जाएगी। रिजर्व फॉरेस्ट या सामान्य वन क्षेत्रों में बाघों और वन्यप्राणियों की मौत के कारणों को दूर करने के निर्देश अफसरों को दिए गए हैं।